शिव का डमरू का क्या है रहस्य आईए जानते हैं

क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के हाथ में विराजित डमरू का क्या रहस्य है , आइए जानते हैं 
कहते हैं भगवान शिव डमरू के साथ ही प्रकट हुए थे.
डमरूसभी देवताओं की तरह भगवान शिव के पास एक वाद्य यंत्र है, पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सरस्वती के प्रकट होने के साथ ही सृष्टि में ध्वनि का संचार हुआ. बिना स्वर और संगीत के ये ध्वनि विहीन थी. 
तब भगवान शिव ने नृत्य करते हुए 14 बार डमरू घुमाया, जिससे ध्वनि में व्याकरण और संगीत से छंद व ताल उत्पन्न हुआ.
डमरू से 14 तरह की ध्वनि निकलती है।जिसमें सृजन और विध्वंस दोनों ही के स्वर छिपे हुए हैं।
भगवान शंकर के हाथ में डमरू ब्रह्म नाद का प्रतीक है.
जब भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और नृत्य करते हैं उस समय उनके हाथों में डमरू होता है. इसका आकार रेत की घड़ी जैसा है जो द‌िन रात और समय के संतुलन का प्रतीक माना जाता है. भगवान शिव का स्वभाव भी इसी तरह का है. इनका एक स्वरूप वैरागी तो दूसरा भोगी का है जो नृत्य करता है और पर‌िवार के साथ जीता है.
भगवान शिव की स्तुति डमरू के साथ की जाए तो घर में कुछ भी अमंगल नहीं होता और घर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश नहीं होती।