200 से अधिक मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराने वाली परम शिव भक्त अहिल्या बाई होल्कर : आइये जानते हैं उनके बारे में


दो सौ साल से ज्यादा पुरानी बात है. मालवा से मुगलों को हटाकर पेशवाओ ने अपने सूबेदार रखे थे. माला के सूबेदार थे मल्हार राव होल्कर. मल्हार राव होल्कर पेशावओं के सबसे वीर भरोसेमंद सूबेदार थे उनकी बहू अहिल्या बाई होल्कर थीं. अहिल्या बाई होल्कर ने मालवा पर तकरीबन 28 साल तक राज किया.

अह्लिया बाई होल्कर एक बड़ी समाज सुधारक थीं. उस समय महिलाओं को शिक्षित करने विधवा विवाह कराने महिलाओ को उनका हक दिलाने जैसे बड़े समाज सुधार में अहिल्याबाई होल्कर ने कई उदाहरण प्रस्तुत किए. अहिल्या बाई होल्कर एक न्याय प्रिय शासक थीं. उनके न्याय के किस्से प्रजा के बीच सुनाए जाते थे. वो अपनी प्रजा को परिवार की तरह देखभाल करती थीं.

अहिल्या बाई होल्कर एक साधारण किसान की बेटी थी बचपन से ही शिव भक्त थीं. उनके दिन की शुरूआत से लेकर कोई भी काम शिव भक्ति के ही साथ शुरू होता है. होल्कर राजवंश की राजधानी भी महेश्वर थी. महेश्वर मध्यप्रदेश का एक चोटा कस्बा है जो नर्मदा के तट पर बसा है. महेश्वर में होल्कर राजवंश का किला है नर्मदा के लंबे चौड़े घाट बने हैं, जिनका निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने कराया था.

महेश्वर के किले औऱ इंदौर के राजवाडे में आज भी वो मंदिर शिवलिंग मौजूद हैं , जिनकी पूजा उस दौर में होल्कर राजवंश के लोग करते थे. होल्कर राजवंश में प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनते थे उनको अभिषेक के बाद नर्मदा में विसर्जित किया जाता था. अहिल्या बाई शिव भक्त थीं उन्होंने पूरे देश में ढाई सौ से ज्यादा मंदिरो घाटों धर्मशलाओं का निर्माण कराया. देशभर के लगभग सभी ज्योतिलिगों में अहिल्या बाई होल्कर ने काम कराया. जिनमे सोमनाथ मंदिर, रामेश्वर शिव मंदिर हो, गया का शिव मंदिर इतना ही नही केदरानाथ धाम के पास धर्मशाला बनवाने का भी उल्लेख मिलता है.

कहा जाता है कि अहिल्या बाई होल्कर शिव भक्ति ऐसी थी कि उनके राज में होल्कर शासन के आदेश भी शिव शंकर आदेश के नाम से मोडी भाषा में निकला करते थे.
जब उन्होने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्दार किया तो काशी के पंडितों ने अहिल्या बाई को पुण्य श्लोक की पदवी दी. जो गिने चुने लोगों को ही अब तक मिली है. इंदौर का रजावाडा महेश्वर का किला आज भी होल्कर राजवंश अहिल्या बाई होल्कर के राज की भव्यता दिव्यता को बताता है यही वजह रही कि आज जब ढाई सौ साल भव्य दिव्य काशी की बात हुई तो एक बार फिर अहिल्या बाई होलकर को याद किया गया.

एक नजर निर्माण कार्यों पर

* द्वारका में पूजा घर बनवाया।

* रामेश्वरम में राधाकृष्ण मंदिर, धर्मशालाएं व कुएं बनवाए।

* जगन्नााथपुरी में रामचंद्र मंदिर, धर्मशाला व कुएं बनवाए।

* ओंकारेश्वर में ममलेश्वर व त्रयंबकेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया, शिवजी का चांदी का मुखौटा बनवाया।

* अयोध्या में राम मंदिर, चेताराम मंदिर, भैरव मंदिर, नागेश्वर मंदिर सहित अन्य मंदिर बनवाए।

* उज्जैन में चिंतामण गणपति, जनार्दन मंदिर, लीला पुरुषोत्तम बालाजी मंदिर, घाट, कुंड, धर्मशालाएं व बावड़ियं बनवाई।

* चित्रकूट में श्रीराम व अन्य चार मूर्तियों की स्थापना की।

* नाथद्वारा में मंदिर, धर्मशाला, कुआं व कुंड बनावाया।

* बेरूल (कर्नाटक) में गणपति, पांडुरंग, जलेश्वर, खंडोबा, तीर्थराज व अग्नि के मंदिर बनवाए।

* प्रयाग में विष्णु मंदिर, धर्मशाला आदि का निर्माण कराया।

* नासिक में श्रीराम मंदिर, गोरा महादेव मंदिर व धर्मशाला का निर्माण कराया।

* गया में श्रीविष्णुपद मंदिर, सभा मंडप का निर्माण कराया।

* पुष्कर में श्री विष्णु मंदिर, घाट और धर्मशाला का निर्माण कराया।

* त्रयंबकेश्वर में दो मंदिर और एक तालाब का निर्माण कराया।

* गंगोत्री में विश्वनाथ, केदारनाथ, अन्नापूर्णा, भैवर मंदिर, छह धर्मशालाएं बनवाईं।