कुबेर कौन हैं ? क्यों धनतेरस में इनको पूजा जाता है ?

कुबेर कौन हैं, इसके संबंध में प्रचलित है कि उनके तीन पैर और आठ दांत हैं। अपनी कुरूपता के लिए कुबेर (Kuber) अति प्रसिद्ध हैं। उनकी जो मूर्तियां पाई जाती हैं, वे भी अधिकतर स्थूल और बेडौल हैं।

शतपथ ब्राह्मण' में तो इन्हें राक्षस ही कहा गया है। इन सभी बातों से स्पष्ट है कि धनपति होने पर भी कुबेर का व्यक्तित्व और चरित्र आकर्षक नहीं था।

कुबेर रावण के ही कुल-गौत्र के कहे गए हैं। कुबेर को राक्षस के अतिरिक्त यक्ष भी कहा गया है। यक्ष धन का रक्षक ही होता है, उसे भोगता नहीं। कुबेर का जो दिक्पाल रूप है, वह भी उनके रक्षक और प्रहरी रूप को ही स्पष्ट करता है। पुराने मंदिरों के बाहह्य भागों में कुबेर की मूर्तियां पाए जाने का रहस्य भी यही है कि वे मंदिरों के धन के रक्षक के रूप में कल्पित और स्वीकृत हैं।

इतना ही नहीं कुबेर के संबंध में लोकमानस में एक जनश्रुति प्रचलित है। जिसके अनुसार कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे। चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे।

एक बार चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था। उसे ढूंढने-पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया। कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया। जब यह क्रम कई बार चला, तो भोले-भाले और औघड़दानी शंकर ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धनपति होने का आशीष दे दिया।

धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस (Dhanteras) के दिन धन के देवता कुबेर की विशेष पूजा होती है। साथ ही भगवान धनवंतरी (Lord Dhanvantari) तथा यमदेव (Yam Puja) की पूजा भी की जाती है। कुबेर आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं इसीलिए धनतेरस पर उनकी पूजा का प्रचलन है। भवन के उत्तर दिशा में भगवान कुबेर का वास होने के कारण धनतेरस के दिन यदि इस दिशा को वास्तु के अनुरूप रखकर कुबेर की पूजा की जाए तो आप अथाह धन-संपत्ति के मालिक बन सकते हैं।

इसीलिए धनतेरस के दिन पृथ्वी की समस्त धन-दौलत, संपत्ति, संपदा, वैभव और ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर के लिए सायंकाल में तेरह दीप समर्पित करने की मान्यता है। धनतेरस के दिन कुबेर से मनचाही समृद्धि पाने का यह रामबाण उपाय है। कुबेर भूगर्भ के स्वामी हैं तथा कुबेर की पूजा से मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है और धन अर्जन का मार्ग प्रशस्त होता है।

अत: विशेष तौर पर धनतेरस के दिन कुबेर को प्रसन्न करने के लिए चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करके तथा निम्न मंत्र का 13 बार का जाप करने से उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।