क्या आप भारत में शराबबंदी का इतिहास जानते हैं ?


शराबबंदी का इतिहास

ब्रिटिश भारत में भारतीयों ने देश में शराबबंदी को लेकर काफी आंदोलन किया था. महात्मा गांधी इस शांति आंदोलन को समर्थन देते थे और विदेशी शासन को राष्ट्रीय निषेध में बाधा के रूप में देखते थे. फिर जब वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिली तो शराबबंदी को भारत के संविधान के नीति निर्देशित सिद्धांत में शामिल किया गया.

शराब पर पहली बार प्रतिबंध मुंबई के सीएम मोरारजी सिद्दीकी ने 1954 में लगाया था. ये रोक वहां के कोली समुदाय पर लगाया गया था जहां महाराष्ट्र के धारावी शराब का निर्माण किया गया था. कोली समुदाय द्वारा जामिन, अमारुद, सेंट्रा, सेब और चीकू अन्य फलों से शराब के निर्माण का कार्य किया गया था. बाद में देसाई के खिलाफ कोली समुदाय ने राय भी रखीं और ये आरोप लगाया कि वो विदेशी शराब की दुकानें हैं. इससे पहले कोली समुदाय द्वारा कानूनी रूप से शराब का निर्माण किया गया था और कहा जाता है कि इस तरह की शराब बनाने पर कोली समुदाय का ही एकाधिकार था.

शराबबंदी लागू करने वाला राज्य

शराबबंदी लागू करने वाला देश का पहला राज्य गुजरात था. बॉम्बे से अलग होकर 1960 में जब इस राज्य का निर्माण हुआ तब महात्मा गांधी की जन्मस्थली की वजह से यहां पूर्ण शराब बंदी लागू की गई, जो आज भी लागू है.लेकिन जहरीली शराब पीने का सिलसीला जारी रहा है. एक रिपार्ट के अनुसार गुजरात में 54 लोगों ने शराब पीने से अपनी जान गवाई है.
बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने 2016 में शराब बंदी कानून लागू किया था. जो अब भी जारी है. लेकिन डेटा के अनुसार जहरीली शराब पीने से 2016 से 2021 के बीच राज्य में 23 लोगों की मौत हुई है.
देश में मिजोरम में भी शराबबंदी कानून 1997 में लागू किया गया था, जो 2015 में हटा दिया गया. लेकिन 2019 में इस कानून को फिर लागू कर दिया गया था. मिजोरम देश में भी शराबबंदी कानून 1997 में लागू हुआ था, जिसे 2015 में हटा दिया गया. लेकिन 2019 में इस कानून को फिर से लागू कर दिया गया. साल 2009 से 2019 तक राज्य पुलिस और एक्साइज व नारकोटिक्स विभाग ने शराब पीने के 26 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए थे.
नागालैंड में भी 1989 से शराबबंदी कानून लागू है. हालांकि इसके बावजूद सिर्फ कोविड महामारी के दौरान प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री के एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गये थे.

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